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Posted by: | Posted on: July 27, 2020

उड़ान NGO के द्वारा ऑनलाइन तीज का तीन दिवसीय आयोजन किया गया :-सारिका

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | प्रति वर्ष उड़ान NGO फ़रीदाबाद शहर में बड़े स्तर पर तीज मेले का आयोजन करता था ।परन्तु इस बार कोरोना वैश्विक महामारी के कारण उड़ान संस्था के द्वारा ऑनलाइन तीज का तीन दिवसीय आयोजन किया गया।जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं में सभी प्रतिभागियों ने बड़े ही उत्साह से भाग लिया।सर्व श्रेष्ठ गायन में नेहा सक्सेना ने बाज़ी मारी और सबसे उत्तम नृत्य प्रतिभा तिवारी का रहा। सबसे सुंदर मेहंदी वाले हाथ सरिता यादव और सबसे मनमोहक चूड़ी वाले हाथ मनीषा सिंगला के रहे।अनेक प्रतिभागियों में से तीज क्वीन क्वीन की हक़दार प्रथम स्थान पर एकता चौधरी,दूसरे स्थान पर हेमलता उप्पल और तृतीय स्थान पर बबीता सचदेवा रही।ऑनलाइन निर्णय देने की भूमिका उड़ान संस्था की कोर टीम राजेश बाला सरधाना,सारिका गुप्ता,अंजना रावत ,साधना जैन,मीनाक्षी गुप्ता और सीमा छाबड़ा ने निभाई।सभी प्रतिभागियों को गिफ़्ट हेम्पर और सर्टिफ़िकेट दिए गये।कोरोना काल की इस ऑनलाइन तीज उत्सव का सभी ने भरपूर आनंद लिया।

Posted by: | Posted on: July 27, 2020

कोविड-19 महामारी के कारण हरियाणा के कई प्राइवेट शिक्षण संस्थान की हालात काफी खराब एवं बंद होने की कगार पर खड़े है :- प्रधान रमेश डागर /प्रवक्ता दीपक यादव

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | कोविड-19 महामारी के कारण हरियाणा के कई प्राइवेट शिक्षण संस्थान की हालात काफी खराब है जिसको लेकर प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने प्राइवेट शैक्षिक संस्थानों को राहत पैकेज देने की मांग की है। प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सीएम हरियाणा मनोहर लाल और एचआरडी मिनिस्टर गवरमेंट ऑफ इंडिया को लेटर भेजकर प्राइवेट स्कूलों के लिए रिलीफ फंड जारी करने की मांग रखी है। ज्यादा जानकारी देते हुए प्राइवेट स्कूल्स के स्टेट प्रेसिडेंट रमेश डागर ने बताया कि हरियाणा के निजी स्कूलों ने बंद के चलते फीस जमा न होने पर सरकार से विशेष राहत पैकेज की मांगा की है कोरोना के चलते आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे निजी स्कूलों के लिए तुरंत राहत पैकेज की घोषणा की जाए। स्टेट प्रेसिडेंट रमेश डागर ने लेटर के माध्यम से कहा है कि 5 से 10 प्रतिशत अभिभावकों को छोड़कर किसी भी सक्षम अभिभावक ने भी फीस जमा नहीं करवाई है। शिक्षा विभाग के अलग-अलग लेटर जारी करने से अभिभावकों में भ्रांति पैदा हो गई है। इसलिए सक्षम अभिभावक को एक-एक महीने के हिसाब से ही फीस जमा कराने के स्पष्ट आदेश जारी किए जाएं।  फीस नही आने के कारण इस संकट मैं स्टाफ का वेतन, बिजली, पानी का बिल, बसों की किस्त, बीमा, परमिट, रोड टैक्स, रिन्यूअल व अन्य स्कूल खर्चों को पूरा करना आसान नहीं है। इन सब मांगों को लेकर हमने प्राइवेट स्कूलों की परेशानियों को सरकार के समक्ष रखा है। स्टेट जनरल सेक्रेटरी गौरव पराशर ने कहा है कि सरकार के आदेश मानते हुए हमने अभिभावकों से सिर्फ एक महीने के हिसाब से सिर्फ ट्यूशन फीस देने की मांग की । लेकिन कुछ ही प्रतिशत अभिभावकों ने फीस जमा की है। जिसके कारण बच्चों को ऑन लाइन पड़ा रही क्लास टीचर्स को सैलरी देना हमारे लिए एक चुनोती बन चुकी है। अब तक तो हम टीचर्स को सैलरी किसी न किसी रूप में देते रहे है लेकिन जब अभिभावक फीस नही देंगे तो हम टीचर्स को कैसे सैलरी देगे । इसके अलावा स्कूल संचालकों के सामने कई स्कूल के लोन है जो की सबसे बड़ी मुसीबत है। इस मुद्दे पर प्रदेश मीडिया प्रभारी दीपक यादव ने कहा कि प्रदेश में 80 प्रतिशत स्कूल तो पहले ही घाटे में चल रहे हैं। इनमें से भी बहुत से स्कूलों की तो पिछले सत्र की फीस भी नहीं आई है। सरकार विशेष राहत पैकेज जारी करे ताकि महामारी के दौर में स्टाफ की सैलरी व अन्य खर्चों को पूरा किया जा सके। कोविड-19 के कारण प्राइवेट शैक्षिक संस्थान कई माह से बंद है, प्रवक्ता दीपक यादव ने कहा कि सरकार तकरीबन सभी क्षेत्रों के लिए राहत पैकेज घोषित कर रही है, लेकिन प्राइवेट शैक्षिक संस्थानों के लिए अभी तक किसी प्रकार के राहत पैकेज की घोषणा नहीं की गई। इन सब बातों को अमल में लाने के लिए ही सरकार के सामने प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने लेटर लिखकर राहत पैकेज की मांग रखी है।

Posted by: | Posted on: July 21, 2020

यूनाइटेड किंगडम से करें डॉक्टर बनने की पढ़ाई- अलीशा धंजल

फरीदाबाद(विनोद वैष्णव)|फरीदाबाद की जानी-मानी करियर कोच और एडमिशन वर्ल्ड की निर्देशक अलीशा धंजल ने डॉक्टर बनने की पढ़ाई को लेकर 5th सेशन में ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया | अलीशा धंजल ने यूनाइटेड किंगडम में अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ कैरेबियन स्कूल ऑफ मेडिसिन के डायरेक्टर विलियम मसिवर से खास बातचीत करें ! इस बातचीत में अलीशा धंजल ने एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर ऐडमिशन प्रोसेस, प्रैक्टिस आदि को काफी सारे सवाल जवाब किए !ए यू सी के डायरेक्टर विलियम मसिवर ने बताया कि बहुत सारे छात्रों का सपना होता है कि वह डॉक्टर बने और आज दुनिया व भारत में अच्छे डॉक्टरों की बहुत ही आवश्यकता है भारत में भी बहुत सारे स्टूडेंट्स डॉक्टर बनना चाहते हैं लेकिन नंबर ऑफ स्पीड कम होने के कारण स्टूडेंट्स को दूसरे कोर्स इस पर भी निर्भर होना पड़ता है! ए यू सी ने छात्रों को लेकर बहुत ही बढ़िया प्रोग्राम बनाया है जिसे छात्र कर कर अपने सपनो भविष्य को नया माकम देते हैं!अलीशा धंजल ने पूछा कि यूके में एमबीबीएस को एमडी क्यों कहते हैं और इसमें क्या फर्क है ?विलियम मसिवर ने बताया कि अलग-अलग देशों में इस प्रोग्राम को अलग-अलग बोलते हैं भारत में स्टूडेंट ट्वेल्थ के बाद एमबीबीएस में पढ़ाई शुरू कर देती हैं लेकिन यूके में पहले स्टूडेंट को बैचलर डिग्री की पढ़ाई करनी होती है फिर उसके बाद स्टूडेंट्स एमडी की पढ़ाई करते हैं अगर मैं आसान भाषा में कहूं तो भारत के एमबीबीएस और यूके की एमडी डिग्री में काफी फर्क है और यूके से पास आउट एमडी की डिग्री को अमेरिका , भारत, गल्फ कंट्री, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि सभी जगहों पर भी मान्य होती है !अलीशा धंजल ने पूछा कि ए यू सी में एडमिशन लेने का प्रोसेस क्या होता है और स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई कितने समय में खत्म कर लेते हैं ?ए यू सी के डायरेक्टर विलियम ने बताया कि स्टूडेंट के पास में फिजिक्स केमिस्ट्री बायो के विषय होने चाहिए और स्टूडेंटस 50% मार्क्स से बारहवीं में पास होना चाहिए!
उसके बाद स्टूडेंट बैचलर डिग्री में एडमिशन ले सकते हैं और उसके बाद नीट का एग्जाम देने के बाद वह एमडी में एडमिशन लेते हैं या पहले ही नीट का एग्जाम देने के बाद बैचलर डिग्री में एडमिशन ले सकते हैं और उसके बाद मे एमडी करते हैं !विलियम ने बताया कि वैसे तो ए यू सी में एडमिशन लेने के लिए नीट का एग्जाम देकर एडमिशन लेने का जरूरी कंपनसेशन नहीं है लेकिन अगर स्टूडेंट्स बाद में इंडिया में प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो उसके लिए जरूरी है कि स्टूडेंट्स नीट का एग्जाम देकर ही एमडी में एडमिशन ले जिससे स्टूडेंट को आगे चलकर कोई भी परेशानी ना हो |अलीशा धंजल ने पूछा कि 5.5 ईयर का प्रोग्राम खत्म करने के बाद स्टूडेंट को आगे क्या करना होता है ?विलियम ने बताया कि बैचलर और एमडी यूनिवर्सिटी की डिग्री लेने के बाद अधिकतर स्टूडेंट्स यूएस असेंबली प्रोग्राम में एडमिशन लेना चाहते हैं उसके 3 लेवल होते हैं और अब तक के रिजल्ट बताते हैं कि 90% स्टूडेंट्स ने यूएसए फैमिली प्रोग्राम को पास किया है उसके बाद स्टूडेंट्स को 3 साल का रेसिडेंसी प्रोग्राम कहूं या ऑन जॉब ट्रेनिंग प्रोग्राम करनी होती है जिसमें स्टूडेंट्स को $50000 सालाना मिलते हैं! अलीशा धंजल ने पूछा कि यूएस में डॉक्टर की स्टार्टिंग सैलेरी पैकेज क्या होता है?विलियम ने बताया कि रेसिडेंसी प्रोग्राम खत्म करने की बात स्टूडेंट की डॉक्टर की स्टार्टिंग पैकेज $123000 सालाना होता है जो कि बहुत बड़ा अमाउंट भारतीय करंसी में|ए यू सी के डायरेक्टर विलियम मसिवर ने आखिर में बताया कि स्टूडेंट्स को ए यू सी में ही आएएडमिशन लेना चाहिए जिससे स्टूडेंट्स बाद में बहुत अच्छा कैरियर बना सकते हैं और उसके साथ में है भारत में भी बहुत स्टार्टिंग पैकेज होता है !करियर कोच अलीशा धंजल ने बताया कि डॉक्टर बनने के लिए यूके में स्टूडेंट्स के लिए ए यू सी सबसे बढ़िया जगह है स्टूडेंटस यहां पर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं जो वह सपना सालों से देख कर आ रहे थे और अगर हमारे किसी भी छात्र का कोई सवाल हो या जानकारियां चाहिए हो तो वह हमारे पेज पर मैसेज कर सकते हैं या हमसे संपर्क कर सकते हैं और मै अलीशा धंजल आप लोगो के लिए अपने पेज अलीशा धनजल से स्टूडेंट्स के लिए आगे भी ऑनलाइन वैगनआर करते रहेंगे!

Posted by: | Posted on: July 21, 2020

प्राईवेट सैक्टर में 75 प्रतिशत हरियाणवी युवाओं को आरक्षण देने के मुद्दे पर फरीदाबाद आई एम टी इन्डस्ट्रीज एसोसिएशन ने सौंपा केन्द्रीय मंत्री किशन पाल गुर्जर एवं पृथला विधायक एवं एच एस डबल्यू सी के चेयरमैन नयनपाल रावत को ज्ञापन सौंपा

फरीदाबाद(विनोद वैष्णव)| फरीदाबाद आई एम टी इन्डस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने हरियाणवी युवाओं को 75% आरक्षण देने के मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्री किशन पाल गुर्जर एवं प्रिथला विधायक एवं एच एस डबल्यू सी के चेयरमैन नयनपाल रावत को ज्ञापन सौंपा । इस विषय पर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट वीरभान शर्मा ने कहा कि हम सभी लोग अपने राज्य का विकास चाहते हैं तथा जहाँ तक हो सकता है अपने लोकल कर्मचारियो को रखते है ।लेकिन अगर इस तरह का कानून बनता है तो इन्डस्ट्रीज को बहुत दिक्कतें आ सकती हैं।दो साल से ईंडस्ट्रीज में लिए मंदी चल रहीं थी ऊपर से कोरोना महामारी ने घेर लिया। अभी ईंडस्ट्रीज ढंग से दोबारा चल भी नहीं पाई की इस तरह के कानून कीं बात चल रही है।इससे राज्य में नए उद्योग आने से पहले सोचेंगे तथा चल रहे उद्योगो को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा ।हमारा राज्य कुछ स्टेट्स की बजाए समपन् है तथा हर काम के लिए एम्पलाईज मिलना मुश्किल होता है।खासकर ढलाई, कास्टिंग, डाईंग इत्यादि में हमारे यहाँ के लोग काम करने में कम इच्छुक होते हैं ।सरकार इसमें तिमाही रिटर्न, सक्षम एम्पलाई ना मिलने पर बडे अधिकारीयों से परमीशन, तथा गल्ति पाए जाने पर पांच हज़ार से पांच लाख तक की पेनाल्टी एवं देरी होने पर रोजाना के दंड जैसे कडे प्रावधान रखने पर विचार कर रही है । हमारी सरकार से गुजारिश है कि इस तरह का कोई भी सख्त कानून लाने से पहले ओद्योगिक सगठनों से सलाह मशविरा जरूर करें ताकि इसका दुरुपयोग ना हो सके।इस तरह के कानून से इंपैक्टर राज को बढावा ही नहीं मिलेगा बल्कि अन्य दूरूपयोग भी होंगे। साथ इस तरह की कंडीशन्स को देखकर नये उद्योग आने से पहले सोचेगे ।तथा जो लोग हरियाणा में ईन्डस्ट्री लगाने का मन बना चुके हैं वे भी पुनर्विचार करेंगे ।हमारे यहां स्किल्ड मैनपावर की कमी के कारण उद्योगों की प्रोडक्टीविटी बेहद प्रभावित होगी ।सरकार को चाहिए कि हर इन्डस्ट्रीयल सैक्टर मे एक एक स्किल डवलपमेंट सेंटर खोले जिससे राज्य के ज्यादा से ज्यादा स्किल्ड कर्मचारी तैयार हो सकें।

सरकार इन्ही इंडस्ट्रीज पर सख्त कानून लगाने की बजाए ज्यादा से ज्यादा नई इंडस्ट्रीज लगाने का माहौल तैयार करे, ज्यादा इंडस्ट्रीज होगी तो हमारे यहाँ के लोगों को उनकी पसंद का रोजगार भी मिल जाएगा तथा अन्य काम हमेशा की तरह हमारे देश के दूसरे राज्यों के कर्मचारी भी रोजगार पाते रहेंगे एवं बेरोजगारी अपने आप समाप्त हो जाएगी ।सरकार इसे कानून का रूप ना दे कर मोटीवेशनल प्रोग्राम चलाए, जैसे हरियाणा के नागरिकों को नोकरी पर रखने वाले उद्योगों को इन्डस्ट्री साईड के ई पी एफ का भुगतान अथवा 10 प्रतिशत का इन्सैंटिव इत्यादि।

Posted by: | Posted on: July 21, 2020

बाबा बन्दा वीर बैरागी के 350वें जन्मदिन पर सेमिनार आयोजित हुआ

बाबा बन्दा वीर बैरागी के 350वें जन्मदिन पर सेमिनार आयोजित हुआ

जीन्द(विनोद वैष्णव)| बाबा बन्दा वीर बैरागी के 350वें जन्मदिन पर जीन्द के बुलबुल काम्पलैक्स में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में पंजाब औद्योगिक विकास निगम के चैयरमैन कृष्ण कुमार बाबा ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा ने की। इसके अलावा सेमिनार में पूर्व मंत्री रामकिशन बैरागी, अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के अध्यक्ष एवं प्रमुख समाज सेवी राजकुमार गोयल, वैष्णव बैरागी परिषद हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार भोला, वैष्णव बैरागी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र स्वामी, बी आर अंबेडकर ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट पूंडरी के चेयरमैन यशपाल वालिया विनायक ग्रुप ऑफ कम्पनीज यूगांडा के मुख्य प्रबन्ध निदेशक यमुना प्रसाद पेशवा, अखिल भारतीय वैष्णव बैरागी सेवा संघ के युवा प्रदेश अध्यक्ष मनोज, भारतीय जनता पार्टी जल प्रबंधन प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक मुकेश कुमार शर्मा, बैरागी शिक्षण संस्थान के प्रधान सतेंद्र सिंह, रियल बॉयोग्रीन एग्रो के एमडी जगमहेन्द्र, सुरेश चैहान तलोड़ा, कृष्ण फौजी अहिरका, सज्जन सैनी, स्वर्णकार संघ जींद के अध्यक्ष संजय वर्मा, अंकुर शर्मा, सावर गर्ग, पवन बंसल, रामधन जैन, मुकेश राठौड़, सुरेश लाठर, सौरभ, गौरव वालिया, पवन मान सरपंच, रमेश रजाना, सरदार उमराव सिंह इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। इस सेमिनार का मंच संचालन डा. नरेश कालीरमण ने किया। इस सेमिनार में हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों से भी प्रतिनिधियों ने शिरकत की।इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक राजकुमार भोला द्वारा एक मांग पत्र पेश किया गया। जिसमें केन्द्र सरकार, प्रदेश सरकार और जीन्द प्रशासन से मांग की गई। केन्द्र सरकार से मांग की गई की कि बाबा बन्दा वीर बैरागी के जन्मदिन को पूरे देश मे राष्ट्रीय पर्व के रूप में घोषित किया जाए। प्रदेश सरकार से मांग की गई कि प्रदेश किसी बड़े संस्थान, यूनिवर्सिटी और सड़क मार्ग का नाम बाबा बन्दा वीर बैरागी के नाम पर रखा जाए। जीन्द प्रशासन से मांग की गई कि ऐसे महापुरूष की याद में किसी बड़े चैंक का नाम बाबा बन्दा वीर बैरागी के नाम पर रखा जाए। ये सभी मांगे मुख्य अतिथियों के समक्ष रखी गई और उनसे इन मांगो को पूरा करवाने की मांग की गई। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार बाबा ने कहा कि महापुरूष किसी भी जाति विशेष के नहीं होते। महापुरूष पूरे समाज के लिए आदर्श होते है। इसी तरह बाबा बन्दा वीर बैरागी भी पूरे समाज के लिए थे। उन्हें 9 जून 1716 को दिल्ली में कुतुबमीनार के पास अमानवीय यात्राएं देकर शहीद कर दिया गया और इसी के साथ देश को मुगल शासन ने आजाद कराने की इस महायोद्धा की चुनौती समाप्त हो गई। उस समय जालिम मुगलों ने उनके 4 वर्ष के बेटे अजय सिंह और उनकी पत्नी के साथ 740 साथियों को भी शहीद कर दिया गया था। विधायक कृष्ण मिढा ने कहा कि ऐसे महापुरूषों की जयन्तियों पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम समाज को जोड़ने का काम करेंगे।

Posted by: | Posted on: July 16, 2020

मिनी स्वीट्स कॉर्नर सेक्टर 23 का मामला -सरेआम गोली चलाकर फिरौती मांगने वाला बंटी सरदार पुलिस की गिरफ्त में

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | 19 जून को सेक्टर 23 में मिनी स्वीट्स कॉर्नर पर गोली चला कर 50 लाख की फिरौती मांगने वाले गिरोह के सरगना बंटी सरदार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गौरतलब है कि मोटर साइकिल सवार दो युवकों ने सरेआम फायरिंग करके धमकी भरा पत्र देकर 50-लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। पत्र में फिरौती मांगने वाले का नाम बंटी सरदार लिखा गया था। उसके बाद बार बार जगह बदलकर मिनी स्वीट्स कॉर्नर के मालिक के फोन पर व्हाट्सएप्प कॉल करके बार बार जान से मारने की धमकी देकर फिरौती मांगी गई। बंटी सरदार ने फ़िल्मी अंदाज में धमकाते हुए कहा था की आज शाम 6 बजे मेरे बन्दे आएंगे और कहेंगे कि डिब्बा तैयार है क्या, तो उनको रुपयों से भरा थैला दे देना और अगर पुलिस को कुछ बताया या मेरे बंदों को कुछ हुया तो, तेरा कुछ रहना नही ओर हमारा कुछ जाना नही। पुलिस आयुक्त ओ पी सिंह आईपीएस ने चार्ज संभालते ही इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाने के निर्देश दिए थे। पुलिस ने लगातार अपराधियों की तलाश शुरू कर दी थी लेकिन गिरफ्तारी से बचने के लिए हर 15-20 दिन बाद बंटी सरदार अपना ठिकाना बदल लेता था। साथ ही अपनी लोकेशन को इतना गुप्त रखता था कि उसके रिश्तेदार व दोस्तों को भी इसकी जानकारी नहीं थी। 7 जुलाई को बंटी के दो साथियों कुलदीप और अमन को गिरफ्तार कर लिया गया था। डीसीपी क्राइम मकसूद अहमद आईपीएस और एसीपी क्राइम अनिल कुमार यादव बंटी की गिरफ्तारी के लिए लगातार काम कर रहे थे। इसके लिए कई पुलिस टीमों का गठन किया था साथ ही अपने मुखबिरों को सक्रिय किया था। मुखबिर की सूचना पर क्राइम ब्रांच सेक्टर 48 के प्रभारी सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने हार्डवेयर चौक फरीदाबाद से बंटी सरदार को उसके एक साथी प्रिंसपाल के साथ 12 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया था।

नशे और नाम के लिए अपराधों को अंजाम देता है बंटी सरदार
अदालत से पुलिस रिमांड पर लेकर जब बंटी सरदार से पूछताछ की तो पता चला कि उपरोक्त आरोपी गुरमीत सिंह@बंटी सरदार नशे का आदि है और अपनी लत व अन्य शौक पूरे करने के लिए और खुद को सुर्ख़ियों में रखने के लिए तथा लोगों में अपने नाम की दहशत बैठाने के लिए वारदात को अंजाम देता है। बंटी एक शातिर व आदतन अपराधी है, जो की इससे पहले अपरहण, मारपीट, तथा अवैध हथियार रखने जैसे संगीन मामलों में जेल जा चुका है तथा नवम्बर-2019 में थाना सारन फरीदाबाद के एक सिपाही को चाकू मारकर जख्मी करने के आरोप में फरार चल रहा था ।
बंटी पर मुजेसर थाने में दो मुकदमे अवैध हथियार के व दो केस दंगा फसाद और मारपीट के सारन थाने में दर्ज हैं।
बंटी के पास से एक कट्टा देसी , एक जिन्दा कारतूस, एक मोबाइल सैमसंग ग्रान्ड, एक मोबाइल लिनोवा, एक मोबाइल सिम, दो मोटर साइकिल स्पलेंडर बरामद किए गए हैं।

Posted by: | Posted on: July 16, 2020

आल एस्कार्टस इम्पलाइज यूनियन के प्रधान त्रिलोक सिंह ने अपनी कार्यकारणी गठित की

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | फरीदाबाद के सबसे बडी एस्कार्टस ग्रुप कंपनी तथा फोर्टिस एस्कार्टस हास्पीटल के मजदूरों की एक मात्र मान्यता प्राप्त आल एस्कार्टस इम्पलाइज यूनियन का चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा मुख्य चुनाव अधिकारी उमेष गुप्ता तथा चुनाव अधिकारी ललित गोस्वामी की देख-रेख में दिनाॅक 4.7.2020 को शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। जिसमें प्रधान पद के लिए त्रिलोक सिंह को चुना गया। तथा एस्कार्टस प्लांट-1 से तीन प्रतिनिधी रमेष तिवारी, राजेष कुमार, कुषल दत्त निर्वाचित हुए। एस्कार्टस प्लांट -2 फार्मटेªक से 6 प्रतिनिधी राजेन्द्र प्रसाद, सुन्दर पाल, हरजीत सिंह, सदाराम, राममेहर, राजेन्द्र शर्मा निर्वाचित हुए। एस्कार्टस प्लांट-3 से तीन यूनियन प्रतिनिधी होषियार सिंह, संजय कपूर, राजेष्वर त्यागी निर्वाचित हुए। एस्कार्टस आर0 ई0 डी0 से कुलदीप सिंह, एस्कार्टस ई0सी0ई0 से सचिन शर्मा, एस्कार्टस के0एम0सी0 से विपिन गौतम, तथा एस्कार्टस फोर्टिस हास्पीटल से बलवन्त सिंह निर्वाचित हुए।

Posted by: | Posted on: July 16, 2020

घेवर(सावन महीने की मिठाई ) पर कोरोना वायरस की मार के चलते 50 % बिक्री कम हो रही है :- संचालक रमेश हलवाई

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव)।सावन के महीने में सावन की प्रसिद्ध मिठाई घेवर की सोंधी -सोंधी महक हलवाईयों की दुकानों की तरफ खींच ही ले जाती है। सावन का महीना आते ही बाजारों की रौनक बढ़ने लगी है। घेवर व अन्य पकवानों की दुकानें सज गई हैं। सावन का पर्व शुरू होते ही लोग भी घेवर व अन्य मिष्ठान खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके चलते ही लोग इस माह में ज्यादातर घेवर की मिठाईयों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और इनका स्वाद चख कर आनंद लेने से पीछे नहीं हैं। सावन का महीना शुरू होते ही एक ओर जहां लोगों को गर्मी व लु से निजात मिलती है वहीं घेवर का भी स्वाद लेते हैं। तीज का पर्व होने के कारण यह महीना विशेष महत्व रखता है। तीज पर लोग अपने सगे संबधियों व् लडकियों को संधार में घेवर भेज कर उनकी खुशियों में शामिल होते हैं। वहीं बहने भी अपने भाईयों को तीज देने पर उनकी दीर्घायु की मंगलकामनाएं करते हैं। वहीं बाजारों में भी तीज की रौनक लौट आती है। बाजार फिरनी व घेवर की दुकानों से सज जाते हैं। लोग सहज ही इन दुकानो की तरफ आकर्षित हो जाते हैं।

रमेश हलवाई ने बताया कि क्यों सावन में घेवर बनता है

सावन का मौसम सबसे बरसाती का मौसम होता है जिसके कारण मौसम में नमी होती है इसलिए घेवर भी बहुत नमी वाला बनता है। बस सावन में ही घेवर बनता है अगर और मौसम में घेवर बनाया गया तो घेवर ज्यादा हार्ड बनेगा और वो खाया नहीं जाएगा टेस्ट भी नहीं आएगा ।

घेवर के प्रकार
प्लेन घेवर ,दूध वाला घेवर ,खोया वाला घेवर ,मलाई रबड़ी वाला घेवर,केसर वाला घेवर।

घेवर की सावन में विक्री
5,6 कॉन्टल की बिक्री।

घेवर में कोई मिलावट नहीं होती न ही कोई पहचान
रमेश हलवाई का कहना है कि घेवर में कोई मिलावटी नहीं होती है न ही कोई पहचान क्योकि घेवर अलग अलग तरह का होता है और उसमे मिलावटी की जरूरत नहीं होती और घेवर में दूध ,मेदा ,घी, चीनी ये इस्तेमाल की जाती है तो सभी के रेट एक जैसे होते है.

घेवर खराब होने का समय
हलवाई का कहना है कि खोया वाला घेवर 2 दिन बाद खराब हो जाता है वो खट्टा पड़ जाता है लेकिन प्लेन घेवर 7,8 दिन में खराब हो सकता है।

त्योहारों पर घेवर की डिमांड ज्यादा होने पर
का कहना है कि सभी हलवाई एक महीने पहले ही फीका घेवर बन बाना शुरू कर देते है ताकि डिमांड ज्यादा होने पर किसी तरह की परेशानी न आये। और जो छोटी-छोटी दुकाने है वो हम जैसे बड़ी दुकानों से खरीद लेते है।

घेवर का रेट
मेवा घेवर:-320
खोया घेवर – 250-350
प्लेन दूध – 200
फीका घेवर:-250
सादा घेवर:-240
मेवा घेवर:-320
कैसर – 400
मिलाई – 320
शुद्ध घी – 400-450

घेवर का नाम घेवर क्यों है

मुनि राज महाराज का कहना है कि पहले 3,4 दिन मेदा रखी होती थी। और उसमे पॉजिटिव वाले कीड़े पड़ जाते थे घर में कुछ मीठा न होने पर लोग उस मेदा और घी व् चासनी का घोल बनाते थे उस घोल का नाम खमीरा था तो लोगो ने घी और चासनी के बनने के बाद जो तैयार हुआ उसे घेवर का नाम दे दिया। और उसकी की बड़ी बड़ी गोल आकर में रोटियां बना कर सभी बहन अपने भाइयो के लिए वो ही लेकर जाती थी।

सफाई व शुद्धता हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं, ग्राहक की संतुष्टि ही हमारा लक्ष्य है। सावन की मिठाई घेवर बरसात होने पर अधिक स्वादिष्ट लगता है व इसकी बिक्री में भी इजाफा हो जाता है। ज्यों-ज्यों तीज का त्यौहार निकट आता जाएगा, त्यों-त्यों घेवर की बिक्री बढती जाएगी। चूंकि फरीदाबाद शहर के आस-पास ग्रामीण एरिया है, ऐसे में तीज के अवसर पर घेवर की जमकर बिक्री होती है।
रमेश हलवाई , बल्लबगढ़

https://www.facebook.com/watch/?v=1595128347331044
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Posted by: | Posted on: July 14, 2020

अलीशा धंजल ने कंपनी सेक्रेटरी को लेकर आयोजित किया ऑनलाइन वेबिनार

फरीदाबाद(विनोद वैष्णव )|फरीदाबाद की जानी-मानी कैरियर कोच अलीशा धंजल ने छात्रों के लिए कैरियर काउंसलिंग वेबिनार की शुरुआत की है जिसमें वह भिन्न-भिन्न स्ट्रीम के विशेषज्ञ से बात करती हैं इसकी शुरुआत अलीशा धंजल ने मशहूर लेखक और कंपनी सेक्रेटरी डॉक्टर अजय गर्ग से बातचीत से की|
अलीशा धंजल ने डॉ अजय गर्ग के साथ विस्तार से चर्चा करते हुए छात्रों को लेकर काफी सवाल किए और जिसके बेखूबी से डॉक्टर अजय गर्ग ने जवाब दिए|
अलीशा धंजल ने सवाल किये की कि छात्र कैसे सीएस में एडमिशन ले सकते हैं क्या पढ़ाई करनी पड़ती है सीएस कंप्लीट करने के बाद किस तरीके वह काम करता है और क्या जॉब की संभावनाएं होती हैं आदि |इसका जवाब देते हुए मशहूर लेखक डॉक्टर अजय गर्ग ने बताया कि कंपनी सेक्रेटरी हर कंपनी के महत्वपूर्ण स्तंभ की तरह काम करता है क्योंकि कंपनी का सारा कानूनी काम, मैनेजमेंट डिसीजन, वर्कआउट शिकायत आदि फैसले जब तक क्लियर नहीं होते, जब तक की कंपनी सेक्रेटरी हस्तक्षेप ना करें या उन्हें ना बताएं|एक आसान भाषा में बताएं तो कानूनी कार्रवाई शुरू होने से पहले सारे फैसलों में कंपनी सेक्रेटरी का महत्वपूर्ण योगदान होता है और कानूनी कार्रवाई शुरू होने के बाद वकीलों का महत्वपूर्ण योगदान होता है मतलब कि कोई भी समझौता फैसला व्यवसायिक कार्य करने के लिए कंपनी सेक्रेटरी की जरूरत होती है यह सुप्रीम अधिकारी के रूप में कार्य करता है |डॉक्टर गर्ग ने बताया कि छात्र कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स पास करने के बाद सीधा सीएस की पोस्ट पर लगते हैं वह सीधा कंपनी के प्रबंधन चालक या अध्यक्ष को रिपोर्ट करते है सीएस का पहला दिन ही कंपनी के मालिक के साथ मीटिंग में जाता है यह अकेला अधिकारी होता है जो कंपनी के मालिक को सीधा रिपोर्ट करता है यही कंपनी सेक्रेटरी की खूबसूरती है यह कंपनी के मैनेजरियल 3 लोगों में शामिल होता है और पिछले 15 सालों में बढ़ चढ़ कर महिलाओं ने भी कंपनी सेक्रेटरी प्रोफेशन को ज्वाइन और आज उनका योगदान 55 % तक पहुँच गया और वह सफलता पूर्ण तरीके से काम कर रही हैं |अलीशा धंजल ने सीएस को लेकर सवाल किया कि छात्रों को कौन से सब्जेक्ट को चॉइस करना चाहिए , डॉक्टर गर्ग ने बताया कि है सीएस में 12thक्लास पास करने के बाद में सीधा एडमिशन ले सकते हैं कॉमर्स के बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद है लेकिन इसके साथ ही आर्ट्स और साइंस के स्टूडेंट्स भी एडमिशन ले सकते हैं और वह सफल भी होते हैं |अलीशा धंजल ने आगे सवाल पूछा कि की कंपनी सेक्रेटरी में एडमिशन लेने के लिए कोई एंट्रेंस एग्जाम भी होता है?अजय गर्ग ने बताया कि शुरुवात में बच्चों को फाउंडेशन एग्जाम देना होता है उसके बाद में एसेक्युटिव्र और फाइनल लेवल के एग्जाम होते हैं | अलीशा जी ने आगे सवाल किया कि पास करने के बाद में कितना पैकेज होता हैजिसके जवाब में डॉ अजय गर्ग ने बताया कि शुरुआत स्टूडेंट का पैकेज 3 से 5 लाख रुपये सालाना होता है और 3 से 5 के बाद यही पैकेज 8 से 10 लाख रुपये सालाना होता है स्टूडेंट्स सरकारी नौकरी में भी जा सकते हैं जैसे स्टॉक एक्सचेंज, पब्लिक सेक्टर कंपनी को ज्वाइन कर सकते हैं और सेल्फ प्रैक्टिस भी कर सकते हैं |अलीशा धंजल ने पूछा कि बच्चों कौन सी यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ना होते है डॉ अजय गर्ग ने बताया कि भारत में यह कोर्स प्रोफेशनल कोर्स है यह किसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में नहीं पढ़ाया जाता, यह अपने आप में अलग इंस्टिट्यूट है इसका नाम है “थे इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी ऑफ इंडिया ” यह केवल कंपनी सेक्रेट्रीज के लिए काम करता है ना की किसी अन्य चीज के लिए|यह इंस्टिट्यूट मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के अंदर आता है और इसके 4 हेड क्वार्टर हैं और हर महत्वपूर्ण शहर में चैप्टर होते हैं जहां जाकर बच्चे अपनी क्लास ले सकते और कॉरस्पॉडेंस भी इस पढ़ाई को कर सकते हैं|डॉ अजय गर्ग ने आख़िर में बताया कि मिडिल क्लास के बच्चों के लिए यह कोर्स बहुत ही अच्छा है क्योंकि इस कोर्स में फीस भी कम है और एक मात्र 4 साल में हो जाता है और आगे इसमें फिक्स प्रोसेंट्रीज होती हैं इसी के साथ में अपनी बात को खत्म करना चाहूंगा |अलीशा जनरल ने बताया कि हम छात्रों के कैरियर को लेकर चिंतित हैं और उन्हें हमेशा अच्छे कोर्स में ही जाने की हमेशा सलाह देते हैं इसीलिए हमने कैरियर काउंसलिंग ऑनलाइन वेबिनार की शुरुवात की है और आगे भी हम लगातार ऐसे ही वेबिनार करते रहेंगे और मैं डॉक्टर अजय गर्ग जी का विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने छात्रों के लिए इतने अच्छे अच्छे ढंग से कंपनी सेक्रेटरी कोर्स के बारे में बताया और मुझे उम्मीद है कि छात्र इसी तरह हमारे से ऑनलाइन पर अनार से जुड़ कर अन्य के बारे में अधिक से अधिक जानकारी लेते|

Posted by: | Posted on: July 4, 2020

डॉ मिनाक्षी पांडेय की नजर से श्री वृन्दावन एक दिव्य दैविक धाम – पार्ट 2

वृन्दावन भगवान कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में यमुना तट पर स्थित है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है।वृन्दावन वह जगह है जहा श्री कृष्ण ने महारस किया था। यहाँ के कण कण में राधा कृष्ण के प्रेम की आध्यात्मिक धरा बहती है। वृन्दावन पावन स्थली का नामकरण ‘वृन्दावन’ कैसे हुआ इसके बारे में अनेक मत है। वुन्दा तुलसी को कहते है- पहले यह तुलसी का घना वन था इसलिए वृन्दावन कहा जाने लगा। वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी वृंदा अर्थात राधा है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्री राधा रानी के सोलह नामो में से एक नाम वृंदा भी है। वृन्दावन को ब्रज का हृदय कहते है जहाँ श्री राधाकृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है। पद्म पुराण में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है। इसी कारण से यह अनादि काल से भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। चैतन्य महाप्रभु, स्वामी हरिदास, श्री हितहरिवंश, महाप्रभु वल्लभाचार्य आदि अनेक गोस्वामी भक्तों ने इसके वैभव को सजाने और संसार को अनश्वर सम्पति के रूप में प्रस्तुत करने में जीवन लगाया है।वृन्दावन की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यमुना जी ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है। यहाँ के सघन कुंजो में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। बसंत ॠतु के आगमन पर यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को शीतलता प्रदान करती है, वह श्रीराधा-माधव के प्रतिबिम्बों के दर्शनों का ही प्रतिफल है। वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही साम्राज्य है। वृन्दावन में श्रीयमुना के तट पर अनेक घाट हैं। वृन्दावन की गलिया बड़ी प्रसिद्ध है और इन गलियों को कुंज गलिया कहते है। हैं।

‘वृन्दा’ तुलसी को कहते हैं। यहाँ तुलसी के पौधे अधिक थे। इसलिए इसे वृन्दावन कहा गया।वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी ‘वृन्दा’ हैं। कहते हैं कि वृन्दा देवी का मन्दिर सेवाकुंज वाले स्थान पर था। यहाँ आज भी छोटे-छोटे सघन कुंज हैं। श्री वृन्दा देवी के द्वारा परिसेवित परम रमणीय विविध प्रकार के सेवाकुंजों और केलिकुंजों द्वारा परिव्याप्त इस रमणीय वन का नाम वृन्दावन है। यहाँ वृन्दा देवी का सदा-सर्वदा अधिष्ठान है। वृन्दा देवी श्रीवृन्दावन की रक्षयित्री, पालयित्री, वनदेवी हैं। वृन्दावन के वृक्ष, लता, पशु-पक्षी सभी इनके आदेशवर्ती और अधीन हैं। श्री वृन्दा देवी की अधीनता में अगणित गोपियाँ निरंतर कुंजसेवा में संलग्न रहती हैं। इसलिए ये ही कुंज सेवा की अधिष्ठात्री देवी हैं। पौर्णमासी योगमाया पराख्या महाशक्ति हैं। गोष्ठ और वन में लीला की सर्वांगिकता का सम्पादन करना योगमाया का कार्य है। योगमाया समाष्टिभूता स्वरूप शक्ति हैं।

इन्हीं योगमाया की लीलावतार हैं- भगवती पौर्णमासीजी। दूसरी ओर राधाकृष्ण के निकुंज-विलास और रास-विलास आदि का सम्पादन कराने वाली वृन्दा देवी हैं। वृन्दा देवी के पिता का नाम चन्द्रभानु, माता का नाम फुल्लरा गोपी तथा पति का नाम महीपाल है। ये सदैव वृन्दावन में निवास करती हैं। ये वृन्दा, वृन्दारिका, मैना, मुरली आदि दूती सखियों में सर्वप्रधान हैं। ये ही वृन्दावन की वनदेवी तथा श्रीकृष्ण की लीलाख्या महाशक्ति की विशेष मूर्तिस्वरूपा हैं। इन्हीं वृन्दा ने अपने परिपालित वृन्दावन के साम्राज्य को महाभाव स्वरूप राधारानी के चरण कमलों में समर्पण कर रखा है। इसीलिए राधिका जी ही वृन्दावनेश्वरी हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीमती रानी के सोलह नामों में से एक नाम वृन्दा भी है। वृन्दा अर्थात अपने प्रिय श्री कृष्ण से मिलने की आकांक्षा लिए इस वन में निवास करती हैं और इस स्थान के कण-कण को पावन तथा रसमय करती हैं। है। यहाँ पर उस परब्रह्म परमात्मा ने मानव रूप अवतार धारण कर अनेक प्रकार की लीलाएँ की। विशेषकर यह वृन्दावन भगवान् श्रीकृष्ण की लीला क्षेत्र है। किसी संत ने कहा है कि-

वृन्दावन सो वन नहीं, नन्दगांव सो गांव।
बंशीवट सो बट नहीं, कृष्ण नाम सो नाम।

अर्थात वृन्दावन के बराबर संसार में कोई पवित्र वन नहीं है और नंदगाव के बराबर कोई गांव नही , बंशीवट के बराबर कोई वट वृक्ष नहीं है, और श्री कृष्ण नाम के बराबर कोई दूसरा नाम श्रेष्ठ नहीं है। वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण की चिन्मय रूप प्रेमरूपा राधा जी साक्षात विराजमान हैं। राधा साक्षत भक्ति रूपा हैं। इसलिए इस वृन्दावन में वास करने तथा भजन कीर्तन एवं दान इत्यादि करने से सौ गुना फल प्राप्त होता है। शिरोमणि श्रीमद्भागवत में यत्र-तत्र सर्वत्र ही श्रीवृन्दावन की प्रचुर महिमा का वर्णन प्राप्त होता है।चतुर्मुख श्री ब्रम्हा जी ने श्रीकृष्ण की अद्भुत लीला-माधुरी का दर्शन कर बड़े विस्मित हुए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे। ब्रह्माजी कह रहे हैं- ‘अहो! आज तक भी श्रुतियाँ जिनके चरणकमलों की धूलि को अन्वेषण करके भी नहीं पा सकी हैं, वे भगवान मुकुन्द जिनके प्राण एवं जीवन सर्वस्व हैं, इस वृन्दावन में उन ब्रजवासियों में से किसी की चरणधूलि में अभिषिक्त होने योग्य तृण, गुल्म या किसी भी योनि में जन्म होना मेरे लिए महासौभाग्य की बात होगी।

यदि इस वृन्दावन में किसी योनि में जन्म लेने की सम्भावना न हो, तो ब्रजधाम में कही भी किसी प्रान्त में प्रान्त किसी शिला के रूप में जन्म ग्रहण करूँ, जिससे वहाँ की मैला साफ़ करने वाली जमादारनियाँ भी अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उन पत्थरों पर पैर रगड़ें, जिससे उनकी चरणधूलि को स्पर्श करने का भी सौभाग्य प्राप्त हो। श्री उद्धव जी कहते हैं कि जिन्होंने दुस्त्यज्य पति-पुत्र आदि सगे-सम्बन्धियों, आर्यधर्म और लोकलज्जा आदि सब कुछ का परित्याग कर श्रुतियों के अन्वेषणीय स्वयं-भगवान ब्रजेन्द्रनन्दन श्री कृष्ण को भी अपने प्रेम से वशीभूत कर रखा है- मैं उन गोप-गोपियों की चरण-गोपियों की चरण-धूलि से अभिषिक्त होने के लिए इस वृन्दावन में गुल्म, लता आदि किसी भी रूप में जन्म प्राप्त करने पर अपना अहोभाग्य समझूँगा। रंगभूमि में उपस्थित माथुर रमणियाँ वृन्दावन की भूरि-भूरि प्रशंसा करती हुई कह रही हैं-अहा! इन तीनों लोकों में श्रीवृन्दावन और वृन्दावन में रहने वाली गोप-रमणियाँ ही धन्य हैं, जहाँ परम पुराण पुरुष श्रीकृष्ण योगमाया के द्वारा निगूढ़ रूप में मनुष्योचित लीलाएँ कर रहे हैं। कृष्ण प्रेम में उन्मत्त एक दूसरी गोपी को सम्बोधित करती हुई कह रही है- अरी सखि! यह वृन्दावन, वैकुण्ठ लोक से भी अधिक रूप में पृथ्वी की कीर्तिका विस्तार कर रहा है, क्योंकि श्री कृष्ण के चरणकमलों के चिह्नों को अपने अंक में धारण कर अत्यन्त सुशोभित हो रहा है।जब भी श्रीकृष्ण अपनी विश्व-मोहिनी मुरली की धुन छेड़ देते थे ,उस समय वंशीध्वनि को मेघा गर्जन समझकर मयूर अपने पंखों को फैलाकर उन्मत्त की भाँति नृत्य करने लगते हैं। इसे देखकर पर्वत के शिखरों पर विचरण करने वाले पशु-पक्षी सम्पूर्ण रूप से निस्तब्ध होकर अपने कानों से मुरली ध्वनि तथा नेत्रों से मयूरों के नृत्य का रसास्वादन करने लगते हैं।श्री शुकदेव जी परम पुलकित होकर वृन्दावन की पुन:पुन: प्रशंसा करते हैं- अपने सिर पर मयूर पिच्छ, कानों में पीले कनेर के सुगन्धित पुष्प, श्याम अंगों पर स्वर्णिम पीताम्बर, गले में पंचरंगी पुष्पों की चरणलम्बित वनमाला धारणकर अपनी अधर-सुधा के द्वारा वेणु को प्रपूरितकर उसके मधुर नाद से चर-अचर सबको मुग्ध कर रहे हैं तथा ग्वालबाल जिनकी कीर्ति का गान कर रहे हैं, ऐसे भुवनमोहन वेश धारणकर श्रीकृष्ण अपने श्रीचरण चिह्नों के द्वारा सुशोभित करते हुए परम रमणीय वृन्दावन में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए अखिल चिदानन्द रसों से आप्लावित मधुर वृन्दावन को छोड़कर श्रीकृष्ण कदापि अन्यत्र गमन नहीं करते हैं।एक रसिक और भक्त कवि ने वृन्दावन के सम्बन्ध में श्रुति पुराणों का सार गागर में सागर की भाँति संकलन कर ठीक ही कहा है. वृन्दावन की प्राकृतिक सौंदर्यता देखने योग्य है। यमुना ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है।

आज भी श्री वृन्दावन के कण कण में श्री कृष्ण की मधुर ध्वनि सुनायी देती है और उस पवित्रता और अद्भुत दिव्यता का एहसास होता है और इसका अनुभव हम वहां की मिटटी पर जाकर महसूस कर सकते हैं यहाँ के सघन कुंजों में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को जो शीतलता प्रदान करती है उसका बयान शब्दों में नही किया जा सकता है वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही साम्राज्य है। गर्ग संहिता में श्री वृन्दावन का महत्त्व गोलोकधाम से भी बढ़ कर मन गया है. कई विश्व प्रसिद्ध लोग अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण समय वृन्दावन में बिताते हैं और अपना जीवन आध्यात्म में समर्पित करते हैं जो शांति क्युकि यहाँ के वातावरण में है मेरा ये मानना है ऐसी परम शांति संपूर्ण विश्व में कहीं नही है अपने-अपने कामों से अवकाश प्राप्त कर अपने शेष जीवन को बिताने के लिए यहाँ अपने निवास स्थान बनाकर रहते हैं। वे प्रतिदिन साधु-संगतों, हरिनाम संकीर्तन, श्री मद्भागवत आदि ग्रन्थों के होने वाले पाठों में सम्मिलित होकर धर्म-लाभ प्राप्त करते हैं। ब्रज के केन्द्र में स्थित वृन्दावन में सैंकड़ों मन्दिर हैं। जिनमें से अनेक ऐतिहासिक धरोहर भी है। श्री सूरदास जी ,श्री चैतन्य महाप्रभू ,स्वामी हरिदास जी जैसे संतों का इस पवित्र स्थान से सम्बन्ध रहा है. ना जाने कितने विद्वानों ,ऋषि मुनियों ने अपना सब कुछ छोड़ कर श्री वृन्दावन में रहकर श्री कृष्ण साधना को अपने जीवन का परम उद्देश्य बना लिया

वृन्दावन में निधिवन

श्री वृन्दावन में स्थित निधिवन के बारे में कहा जाता है कि की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है कि निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है और उसके बाद वहां फिर किसी को अंदर प्रवेश करने की अनुमति नही है यहाँ तक कि वहां आने वाले वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है।निधि वन के अंदर ही ‘रंग महल’ है . और जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वहां प्रतिदिन श्री कृष्ण और श्रीमति राधा रानी के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में श्रीमति राधा रानी और श्री कृष्ण के लिए एक जल से भरा पात्र श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो पात्र का जल थोड़ा सा मिलता है ,दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।निधि वन की एक अन्य खासियत यहाँ के तुलसी के पेड़ है। निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है की इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि‍ जो लोग भी ले गए वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए इसलिए इन्हे कोई भी नही छूता , रंग महल में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है।शयन के लिए पलंग लगाया जाता है। सुबह बिस्तरों के देखने से प्रतीत होता है कि यहां निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद भी ग्रहण किया है। लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन के वृक्षों की खासियत यह है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत हाते हैं।निधिवन परिसर में ही संगीत सम्राट एवं धुपद के जनक श्री स्वामी हरिदास जी की जीवित समाधि, रंग महल, बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल, राधारानी बंशी चोर आदि दर्शनीय स्थान ऐसी भी मान्यता है निधिवन में प्रतिदिन रात्रि में होने वाली श्रीकृष्ण की रासलीला को देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के किसी को बता ना सके।

इसी कारण रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं। और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है। उनके अनुसार यहां जो भी रात को रुक जाते है वह सांसारिक बन्धन से मुक्त हो जाते हैं और जो मुक्त हो गए हैं, उनकी समाधियां परिसर में ही बनी हुई है। निधिवन में जो 16000 आपस में गुंथे हुए वृक्ष आप देख रहे हैं, वही रात में श्रीकृष्ण की 16000 रानियां बनकर उनके साथ रास रचाती हैं। रास के बाद श्रीराधा और श्रीकृष्ण परिसर के ही रंग महल में विश्राम करते हैं। जबकि सच इस प्रकार है – अनियमित आकार के निधिवन के चारों तरफ पक्की चारदीवारी है। परिसर का मख्यद्वार पश्चिम दिशा में है।परिसर का नऋत्य कोण बढ़ा हुआ है और पूर्व दिशा तथा पूर्व ईशान कोण दबा हुआ है। गाइर्ड जो 16000 वृक्ष होने की बात करते हैं वह भी पूरी तरह झूठ है क्योंकि परिसर का आकार इतना छोटा है कि 1600 वृक्ष भी मुश्किल से होंगे और छतरी की तरह फैलाव लिए हुए कम ऊँचाई के वृक्षों की शाखाएं इतनी मोटी एवं एवं मजबूत भी नहीं है कि दिन में दिखाई देने वाले बंदर रात्रि में इन पर विश्राम कर सकें इसी कारण वह रात्रि को यहाँ से चले जाते हैं।इस परिसर की चारदीवारी लगभग 10 फीट ऊंची है और बाहर के चारों ओर रिहायशी इलाका है जहां चारों ओर दो-दो, तीन-तीन मंजिला ऊँचे मकान बने हुए है और इन घरों से निधिवन की चारदीवार के अन्दर के भाग को साफ-साफ देखा जा सकता है। वह स्थान जहाँ रात्रि के समय रासलीला होना बताया जाता है वह निधिवन के मध्य भाग से थोड़ा दक्षिण दिशा की ओर खुले में स्थित है।यदि सच में रासलीला देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा हो जाए या मर जाए तो ऐसी स्थिति में निश्चित ही आस-पास के रहने वाले यह इलाका छोड़कर चले गए हाते। निधिवन के अन्दर जो 15-20 समाधियां बनी हैं वह स्वामी हरिदास जी और अन्य आचार्यों की समाधियां हैं जिन पर उन आचार्यों के नाम और मृत्यु तिथि के शिलालेख लगे है