शिक्षा
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विद्यार्थियों के लिए जेसी बोस विश्वविद्यालय वाईएमसीए में दाखिले का सुनहरा अवसर
चण्डीगढ़( विनोद वैष्णव )| यह उन विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है जो इस वर्ष बीटेक में दाखिला नहीं ले सके तथा जेसी बोस विश्वविद्यालय वाईएमसीए फरीदाबाद में दाखिला लेने के इच्छुक है। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कम्युनिटी कॉलेज ऑफ स्किल डेवलेपमेंट के अंतर्गत मौजूदा शैक्षणिक सत्र से मैनुफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल तथा वेबडिजाइनिंग में तीन वर्षीय बैचलर आफ वोकेशनल (बी.वोक) अर्थात् व्यवसायिक स्नातक के नये पाठ्यक्रम शुरू नये किये गये है, जिसके लिए 28 सितम्बर, 2018 तक आवेदन किया जा सकता है।
कम्युनिटी कॉलेज के नये वोकेशनल पाठ्यक्रमों के संबंध में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने बताया कि यह ऐसे विद्यार्थियों के लिए सुनहरा अवसर है जो किसी कारण से विश्वविद्यालय में दाखिला लेने से वंचित रह गये। उन्होंने बताया कि कॉलेज द्वारा शुरू किये जा रहे बी.वोक के सभी पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्यता प्राप्त है तथा सरकारी रोजगार के लिए आवश्यक स्नातक डिग्री के समकक्ष है। कुलपति ने कहा कि ‘स्किल इंडिया’ कार्यक्रम को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुरूप कॉलेज द्वारा नये कौशल विकास एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रम औद्योगिक मांग को ध्यान में रखते हुए शुरू किये गये है, जिससे इन पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाले युवाओं को रोजगार के सुनिश्चित अवसर मिलेंगे।
कम्युनिटी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजीव गोयल ने बताया कि बी.वोक के सभी पाठ्यक्रम नामत: मैनुफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल तथा वेबडिजाइनिंग 50-50 सीटों के साथ शुरू किये गये है, जिसमें विद्यार्थियों के पास पाठ्यक्रम को बीच में छोडऩे अथवा दोबारा जुडऩे (लेटरल एंट्र व लेटरल एग्जीट) का विकल्प रहेगा। इसके अंतर्गत, तीन वर्षीय पाठ्यक्रम का पहला वर्ष सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने के उपरांत विद्यार्थी संबंधित विषय में डिप्लोमा दिया जायेगा। दूसरे वर्ष उत्तीर्ण होने के बाद एडवांस डिप्लोमा प्रदान किया जायेगा तथा तीसरा वर्ष उत्तीर्ण होने पर विद्यार्थी को बी.वोक की डिग्री दी जायेगी, जोकि स्नातक के समकक्ष है। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम के लिए वार्षिक फीस शुल्क 10 हजार रुपये है, जो फीस की दृष्टि से बीटेक पाठ्यक्रम के मुकाबले विद्यार्थियों के लिए आकर्षक विकल्प है। इसके अलावा, फीस में सभी आरक्षित वर्गों, दिव्यांगों, लड़कियों तथा मेधावी विद्यार्थियों को छूट भी दी जायेगी।
डॉ. गोयल ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2013 में कम्युनिटी कालेज शुरू किया गया था। कॉलेज द्वारा युवाओं को रोजगार एवं स्व:रोजगार के लिए पूरा सहयोग दिया जाता है और कॉलेज का अब तक का प्लेसमेंट रिकार्ड बेहतरीन रहा है। कॉलेज द्वारा शुरू किये गये अधिकांश पाठ्यक्रम औद्योगिक एवं अकादमिक सहभागिता में है, जिससे विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के बाद रोजगार हासिल करने में सहयोग मिलेगा। इस संबंध में कॉलेज के दूरभाष नम्बर 0129-2310175 पर भी संपर्क किया जा सकता है
टैगोर पब्लिक स्कूल की छात्रा दीक्षा तिवारी ने खेल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक प्राप्त करके स्कूल का नाम रोशन किया
पलवल ( विनोद वैष्णव )टैगोर पब्लिक स्कूल की बारहवीं कक्षा की प्रतिभाशाली छात्रा दीक्षा तिवारी ने 17 सितम्बर को पानीपत में आयोजित 53वीं राज्य स्तरीय स्कूल खेल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक प्राप्त करके स्कूल व अपने माता.पिता का नाम रोशन किया। साथ ही साथ नेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप के लिए अपना नाम सुनिश्चित किया।
राष्ट्रीय ताइक्वांडों स्कूल खेल प्रतियोगिता 2018 नवम्बर में गुजरात के नाडियाड में आयोजित होगी जिसमें दीक्षा तिवारी हरियाणा राज्य के प्रतिनिधि के रूप में भाग लेगी। दीक्षा तिवारी ने परिश्रम, लगन व कोच के सफल मार्गदर्शन में यह सफलता हासिल की है।
इस सुअवसर पर विद्यालय की निर्देशिका मनोरमा अरोड़ा और विद्यालय की प्रधानाचार्या कपिला इंदु ने इस ऊर्जावान व परिश्रमी बालिका के अथक प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की और राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में चयनित होने पर हार्दिक बधाई देते हुए उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
सतयुग दर्शन ट्रस्ट द्वारा वसुन्धरा परिसर में प्रतियोगिता आयोजित की गयी
( विनोद वैष्णव )| सतयुग दर्शन ट्रस्ट द्वारा मानवता विषय पर ५ वर्ष से १२ वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में नन्हें-मुन्ने बच्चों ने बढ़चढ़कर भाग लिया।
प्रतियोगिता मानवता विषय पर आधारित थी, जिसमें स्वरचित कविताएं एवं गधांश के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करने थे। प्रत्येक प्रतिभागी को कम से कम २ मिनट और अधिक से अधिक ३ मिनट तक बोलने का अवसर प्राप्त हुआ।
इस प्रतियोगिता में लगभग १०० बच्चों ने भाग लिया, यह प्रतियोगिता दो चरण में हुई प्रथम चरण की प्रतियोगिता में से ११ प्रतिभागियों को चुना गया, तत्पश्चात दूसरी चरण की प्रतियोगिता में से विजेताओं को चुना गया। गाजिय़ाबाद से प्रशान्त प्रथम स्थान पर, जाग्रति भारती गुरुग्राम से द्वितीय स्थान पर एवं फरीदाबाद से हित्कर बढ़ेरा तृतीय स्थान पर रहे।
कार्यक्रम के मध्य में ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी एवं मैनेजिंग ट्रस्टी रेशमा गान्धी जी ने विजेताओं को पुरुष्कारों से सममानित किया। इसके साथ ही सजन जी ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि यदि बच्चों को सतयुगी इन्सान बनाना है तो उनको बचपन से ही मानवीय गुणाष से प्रेरित किया जाए, और इस तरह की प्रतियोगिताओं के माध्यम से ही बच्चे अपनी यादगीरी में मानवता जैसे महान गुण को रखकर अपने घर-परिवार समाज व देश को महान बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं। सजन जी ने इसी प्रकार की प्रतियोगिताओं को जारी रखने के निर्देश भी दिये।
एमम वी एन विश्वविद्यालय प्रांगण में युवाओं की राष्ट्र निर्माण में एवं शिक्षण संस्थाओं की भूमिका पर विचार संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया
( विनोद वैष्णव )| एम वी एन विश्वविद्यालय प्रांगण में युवाओं की राष्ट्र निर्माण में एवं शिक्षण संस्थाओं की भूमिका पर विचार संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं मां भारती की वंदना मयंक, हेमंत द्वारा एवं दीप प्रज्वलन कर के किया। कार्यक्रम को संचालित करते हुए डॉ पवन शर्मा ने बताया कि शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कारों पर बल देना चाहिए क्योंकि संस्कार ही पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते हैं और हमें अगर अपने राष्ट्र को आगे बढ़ाना है तो युवाओं में संस्कारों को जगाना पड़ेगा।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो (डॉ) जे.वी देसाई ने बताया कि किसी भी समाज की स्थिति राष्ट्र में रहने वाले युवाओं की शक्ति से पता चलती है, जहां बुजुर्गों का अनुभव और युवाओं की शक्ति मिलती है वहां राष्ट्र की उन्नति को कोई नहीं रोक सकता है। भारत आज के समय में सर्वाधिक युवा शक्ति रखता है जिससे वह विश्व में एक आदर्श स्थापित करने की क्षमता रखता है।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ सुरेंद्र पाल, सह-प्रांत प्रचारक हरियाणा ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवा ही वह माध्यम है जिससे हम विश्व गुरु बन सकते हैं क्योंकि हमारी मिट्टी, सभ्यता, समाज और संस्कारों में वह क्षमता है जिससे भारत राष्ट्र आने वाले समय में विश्व गुरु बन कर मार्गदर्शन कर सकता है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां तीन महाग्रंथ रामायण, महाभारत व गीता है। जिसमें रामायण में मर्यादाओं की उच्चतम सीमा को बताया है,महाभारत में समाज में रहने वाले विभिन्न प्रकार के लोगों को बारे में बताया है और अंत में गीता में बताया है कि मनुष्य संसार के चक्र में अपना मार्ग कैसे चुन सकता है। इस प्रकार आज के युवाओं को भारतीय संस्कृति व परंपरा से भी अवगत करना होगा क्योंकि लॉर्ड मेकाले ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में 2 फरवरी 1835 को यह वक्तव्य दिया कि कि अगर भारत को गुलाम बनाए रखना है तो वहां की शिक्षा पद्धति को भ्रमित करना होगा इसी सिद्धांत ने आज तक शिक्षा में भ्रांतियां उत्पन्न की हैं। अतः युवाओं को सत्य से अवगत कराते हुए जागृत करना ही होगा। कार्यक्रम के समापन पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राजीव रतन ने सभी गणमान्य लोगों का धन्यवाद किया और कहा स्वामी विवेकानंद ने जो संभाषण शिकागो सर्वधर्म सम्मेलन में दिया था वह आज भी भारत राष्ट्र को विश्व गुरु के रुप में स्थापित किए हुए है।इस अवसर पर डॉ जय शंकर प्रसाद, डॉ राहुल वार्ष्णेय, डॉ प्रताप सिंह, मुकेश सैनी, तरुण विरमानी, दीपक मिश्रा, चरण सिंह, सुभाष सिंह, छत्रपाल, वेद (जिला कार्यवाहक पलवल), विक्रांत (जिला प्रचारक पलवल), सुरेंद्र (महानगर प्रचारक फरीदाबाद) पृथ्वीराज (जिला विद्यार्थी प्रमुख हरियाणा), योगेश कौशिक आदि उपस्थित थे।
शद गुरु की महानता
फरीदाबाद ( विनोद वैष्णव )| जैसा कि आप सबको ज्ञात ही है कि विगत कुछ माह से इतने बड़े पैमाने पर मानवता-ई-ओलमिपयाड करवाने व समाज को नैतिक उत्थान की राह दिखा कर एक नेक व अच्छा इंसान बनाने के संदर्भ में सतयुग दर्शन ट्रस्ट, फरीदाबाद, की मानवता उत्थान समबन्धित गतिविधियाँ काफी चर्चित रही है। हाल में ही विश्व समभाव दिवस के शुभ अवसर पर समपन्न किए गए मानवता-ई-ओलमिपयाड के पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर हमें भी ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन जी से भेट करने का अवसर प्राप्त हुआ और हमने भी मानवीय मूल्यों से भरपूर व स्वर्णिम भविष्य की राह दिखाते, अति ही सुन्दर कार्यक्रम को देखकर जिज्ञासा वश उनसे पूछा कि आखिर आप सबका गुरु कौन है?
यह सुनकर श्री सजन जी ने कहा कि यहाँ कोई भी शारीरिक गुरु नहीं है अपितु श4द ही हमारा गुरु है। यह सतयुग दर्शन ट्रस्ट, हकीकत में महाबीर सत्संग सभा का एक विस्तारित रूपान्तरण है। इस नाते यह द्वारा सजन श्री शहनशाह महाबीर जी का द्वारा है जो सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में कहते हैं कि च्च्श4द है गुरु, शरीर नहीं है | यहाँ मूलमंत्र को स्पष्ट करते हुए उन्होने कहा कि यह है प्रणव-मंत्र ओ3म् जिसे हिन्दी में अक्षर/ब्राहृबीज, उर्दू में अलिफ, गुरुमुखी में ओंकार आदि नाम से समबोधित किया जाता है तथा हर पदार्थ के अन्दरूनी (आध्यात्मिक) व बैहरूनी (भौतिक) ज्ञान के प्रकटन का रुाोत व सुरत व श4द के मिलन का व विलीन होने का केन्द्र बिन्दु माना जाता है। इस संदर्भ में वह बोले कि नाम चाहे कुछ भी हो परन्तु हकीकत में यही अत्यन्त पवित्र, नित्य, स्थिर, दृढ़, अनश्वर, अविनाशी, स्वयंभू व परब्राहृवाचक यानि परमात्मा को व्यक्त, प्रकट या सूचित करने वाला श4द ही हमारा गुरु है यानि हमारा आध्यात्मिक पथप्रदर्शक है और परमानन्द की प्राप्ति हेतु दिव्यता की खिड़की खोलने की कुंजी है।
इस तरह सजन जी ने स्पष्ट किया कि सजन श्री शहनशाह महाबीर जी के वचनानुसार इस द्वारे पर हम सभी यही मानते हैं कि सार्थक ध्वनि के रूप में आत्मिक ज्ञान प्रदान करने वाला हमारा यह नित्य, अजर-अमर, गुरु ही न केवल हमारे नित्य असलियत स्वरूप की पहचान कराने में अपितु उस ब्राहृ और इस ब्राहृांड का हर रहस्य जनाने में पूर्ण सक्षम है तथा एकमात्र ऐसा रुाोत है जो सर्व को एक सूत्र में बाँध, सबके मन-मस्तिष्क को एक ही तरह के आत्मिक ज्ञान के प्रवाह से भरपूर कर, सर्व कला समपूर्ण बना सकता है। इसके अजपा जाप के प्रवाह से ही तेरी-मेरी, अपना-पराया, भिन्न-भेद, वैर-विरोध, वड-छोट, सेवक-स्वामी, भक्त-भगवान, गुरु-चेले का द्वैत युक्त भाव समाप्त हो सकता है और समस्त बाह्र आडंमबर व कर्मकांडयुक्त भक्ति भावों का अंत हो समभाव यानि ऐ1य भाव आ जाता है। इस प्रकार अपनी स्वतन्त्र मुक्त प्रकृति में बने रह हमारा आचार, विचार व व्यवहार सत्य-ज्ञान की मर्यादा में सदैव सधा रह सकता है और हम सजन-भाव और गृहस्थ धर्म के वचनों पर परिपक्वता से खड़े होकर इस जगत में अपना फज़ऱ्-अदा निर्लिप्तता से संकल्प रहित होकर, हँसकर निभा सकते हैं। इस तथ्य के दृष्टिगत श्री सजन जी ने कहा कि ईश्वर के इस मूल सिद्धान्त को हम अपने जीवन के मार्गदर्शक सिद्धान्त के रूप में स्वीकारते हैं अर्थात् हमारा उद्देश्य, ख़्याल, नीयत, विचार-प्रक्रिया, तर्कशक्ति, गंभीरता व सावधानी पूर्वक किया चिंतन, विचार-विमर्श, दृढ़ निश्चय, ध्यान इत्यादि सब इसी श4द ब्राहृ पर आधारित होता है और इसीलिए यहाँ सतयुगी चलन के अनुरूप समभाव-समदृष्टि अपनाने को प्रधानता दी जाती है तथा सजन-भाव यानि मैत्री-भाव अनुरूप व्यवहार करने पर जोर दिया जाता है।
आगे हमारे यह पूछने पर कि वर्तमान युग में प्रचलित भक्ति भावों के अनुरूप आप किसी शरीरधारी को गुरु 1यों नही मानते श्री सजन जी हँस कर बोले कि किसी शरीरधारी को गुरु मानने का अर्थ है आत्मतत्व से नाता तोड़ मिथ्या तत्वों से समबन्ध जोड़ आध्यात्मिकता के मार्ग से भटक जाना अर्थात् अज्ञानियों की तरह सांसारिक स्वार्थपूर्ण अन्तहीन इच्छाओं की ओर आकर्षित हो मृतलोक में आवागमन के दुष्चक्र में तब तक फँसे रहना जब तक कि अंतिम इच्छा पूर्ण न हो जाए। इसलिए हम यह भूल नहीं करते और सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ अनुसार यह मानते हैं कि :-
गुरू है बन्धन ते चेला है बन्धन, ओ बन्धन है जे पख परिवार ।
इस बन्धन तों छुटना चाहो सजनों श4द पकड़ो ब्राहृ विचार।।
इस आधार पर हम श4द को ही ब्राहृ मान, निष्कामता से उसी में अपने मन को लीन रखते हैं और उस द्वारा प्रदत्त ब्राहृ विचारों को धारण कर, अपने मन-वचन-कर्म द्वारा उन्ही का ही इस्तेमाल करने में अपनी शान समझते हैं। इससे बिना किसी प्रयत्न के स्वयंमेव हमारा मन संतोषमय यानि आत्मतुष्ट बना रहता है और हम जीवन की हर परिस्थिति का सामना डट कर निर्भयता से करने के लिए तत्पर रहते हैं यानि कभी कोई कमी हमें नहीं खलती। कमी नहीं खलती तो मिथ्या संसार के नकारात्मक भावों की गंदगी हमारे ख़्याल को छू नहीं पाती यानि विकार-वृत्तियाँ व गरूरी-मगरूरी नहीं पनप पाती और हम बाह्र उत्तेजनाओं से मुक्त हो अपने मन को धीरता से अपने जीवन के महान प्रयोजन को समयबद्ध पूरा करने के प्रति स्थिरता से साधे रख पाते हैं। यही कारण है कि सत्य को धारण कर धर्म के मार्ग पर चलना हमें कठिन प्रतीत नहीं होता और हम निष्कामता से परोपकार कमाते हुए मौत के भय से मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यही इस द्वारे की नीति है और इसी नीति पर हर इंसान को मानव धर्म अपनाकर यानि इंसानियत में आकर डटे रहने के लिए तैयार किया जाता है।
अंत में श्री सजन जी ने हमारे जरिए भी आप सब अखबार पढऩे वाले सजनों तक भी यही अपील की च्च्श4द है गुरू, शरीर नहीं हैज्ज् के तथ्य व सत्य को समझने के पश्चात् आप सब भी ज्ञानी को नहीं, ज्ञान को अपनाओ यानि निमित्त में नहीं अपितु नित्य में श्रद्धा बढ़ाओ। इस तरह दृढ़ विश्वास के साथ श4द गुरु से अपना नाता जोड़ श्रद्धापूर्वक, उससे प्राप्त होने वाले सत्य आत्मिक ज्ञान के प्रति आस्था रखते हुए, उन का इस्तेमाल कर आत्मबोध करो और ए विध् यह मनुष्य जीवन सुख-शान्ति से व्यतीत करते हुए उस परमसत्य, अविनाशी ईश्वर के हो जाओ। इन्ही शुभकामनाओं के साथ।
वृंदा इंटरनेशनल स्कूल में मनाया गया हिन्दी दिवस
फरीदाबाद ( विनोद वैष्णव )| एस0 जी0 एम0 नगर स्थित वृंदा इंटरनेशनल स्कूल में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत प्रार्थना से की गई। तत्पशचात् स्कूल की अध्यापिका ज्योति , स्नेह गुप्ता व पूजा सिंह द्वारा समूह गान की प्रस्तुति की गई। कक्षा नौवीं की छात्रा खुशबू ने कार्यक्रम का सूत्र संचालन बड़ी ही सुबद्धता से किया। कक्षा नौवीं की छात्रा अनम व करूणा ने हिन्दी के सम्मान में विचार व कविता प्रस्तुत की। स्कूल के मुख्य छात्र आर्यन ने हिन्दी की उपयोगिता तथा महत्ता पर प्रकाश डालते हुए वक्तव्य प्रस्तुत किया। छात्रों ने ‘ हम है हिन्दुस्तानी हिन्दी भाषा हमको प्यारी है‘‘ समूह गान द्वारा गीत बड़ी ही लयबद्धता से प्रस्तुत किया।
हिन्दी व संस्कृत की अध्यापिका स्नेह गुप्ता ने हिन्दी के गौरव व सम्मान में भाषण दिया तथा हिन्दी की अध्यापिका पूजा सिंह ने हिन्दी भाषा को समर्पित कविता गायन की सुन्दर प्रस्तुति दी।
स्कूल की प्रधानाचार्या सुषमा गौर ने सभा को संबोधित करते हुए स्वरों को ल्यात्मकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अन्त में विद्यालय की निदेशिका विजयलक्ष्मी ने सभी छात्रों से बेसिक हिन्दी के सामान्य ज्ञान के प्रश्नोत्तरी परीक्षा ली तथा हिन्दी के विकास व उत्थान की बात कही। समारोह का अन्त राष्ट्रगान द्वारा किया गया।
जे.सी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए के कुलसचिव डॉ संजय शर्मा ने ली ग्रामीणों की योग की क्लास, किया पौधारोपण
बालाजी पब्लिक स्कूल में विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी का हुआ आयोजन
बल्लबगढ़ (विनोद वैष्णव )| बालाजी पब्लिक स्कूल में विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में स्कूल के कक्षा छठी से बारहवीं के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ करभाग लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी को दो वर्गों कनिष्ठ वर्ग (कक्षा छठी से आठवीं) तथा वरिष्ठ वर्ग (कक्षा नौवीं से बारहवीं) में बांटा गया। प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रकार के विज्ञान, सामाजिक विज्ञान एवं कला से संबंधित चार्ट एवं मॉडल जैसे जल ऊर्जा, वर्षाजल संचयन, प्रकृति में जल चक्र, पवनचक्की, विद्युत सर्किट, ज्वालामुखी, स्मार्ट सिटी, इलैक्ट्रोमेग्नेटिक इफैक्ट, इलैक्ट्रोमेग्नेटिक इण्डक्शन, ब्रह्माण्डीय परिवर्तन, शारीरिक एवं रासायनिक परिवर्तन, विद्युत घंटी, केले का डीएनए अलग करना, अम्लीय कुंजिका, एयर कूलर, वायु प्रदूषण, पानी का विद्युतीयकरण, त्रिकोणमितिय सूत्र खोजक, 3डी होलोग्राम, गणेश प्रतिमा एवं विभिन्न प्रकार के फोटोफ्रेम, फूलदान व वॉल हैंगिंग इत्यादि प्रस्तुत किए गए। इस प्रदर्शनी का विद्यालय के प्रबन्धक राजेन्द्र सिंह व प्रधानाचार्य डा.राजकिशोर सिंह नेगी ने निरीक्षण किया। उन्होंने प्रतिभागी विद्यार्थियों से उनके द्वारा बनाए गए मॉडल एवं चार्ट से संबंधित प्रश्र भी पूछे, जिनका विद्यार्थियों ने बड़े आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया। उन्होंनेविद्यार्थियों के द्वारा बनाए गए भिन्न-भिन्न मॉडल को सराहा और उनका उत्साहवर्धन किया। विद्यालय के उप-प्रधानाचार्य जयपाल सिंह व शिक्षिकाए नीतू अग्रवाल तथा अंशु गेरा निर्णायक मंडल में थे। उन्होंने प्रत्येक प्रतिभागी द्वारा बनाए गए चार्ट, मॉडल व कलाकृति का गहनता से निरीक्षण किया। प्रदर्शनी में वरिष्ठ वर्ग में प्रथम स्थान त्रिकोणमितिय सूत्र खोजक बनाने वाले कक्षा दसवीं के छात्र राहुल, अनूप, विवेक, शिवम व पंकज को मिला जबकि दूसरा स्थान बारहवीं के छात्र शिव कुमार व सोहेल खान को इलैक्ट्रोमेग्नेटिक इण्डक्शन बनाने के लिए मिला। इसके अलावा कनिष्ठ वर्ग में प्रथम स्थान गणेश प्रतिमा बनाने वाले कक्षा सातवीं के छात्र लव को मिला जबकि दूसरा स्थान कक्षा आठवीं की छात्रा कोमल को वर्षा जल संचयन का मॉडल बनाने के लिए मिला। इस दौरान विद्यालय के प्रबंधन समिति की सदस्या दीपमाला सिंह व प्रबंधन समिति के सदस्य रवीन्द्र सिंह तथा शिक्षकगण मुकेश, दिनेश कुमार, कुलदीप, रंगनाथ दूबे, देवराज, रिंकी वत्स, कुमारी रितु फौजदार,ज्योति शर्मा इत्यादि उपस्थित थे।
अंकुर मित्तल ने डबल ट्रैप शूटिंग में जीता गोल्ड
फरीदाबाद(विनोद वैष्णव )| मानव रचना शैक्षणिक संस्थान से एमबीए कर रहे छात्र अंकुर मित्तल ने शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड पर निशाना लगाया है। साउथ कोरिया के चैंग्वॉन में चल रही आईएसएसएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर अंकुर ने देश के साथ-साथ मानव रचना का परचम लहराया है। अंकुर ने मेन्स डबल ट्रैप शूटिंग में शारदुल विहान और असद मोहम्मद के साथ ब्रॉन्ज मेडल भी जीता है।
मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला ने अंकुर को गोल्ड मेडल जीतने पर बधाई दी। उन्होंने बताया कि, मानव रचना हमेशा से ही खिलाड़ियों का साथ देता है। खेलों में आगे रहने वाले छात्रों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वह विदेशों में तिरंगा लहरा सकें।
आपको बता दें, इससे पहले भी अंकुर देश के लिए कई मेडल लेकर आया है।