हरियाणा सरकार ने वर्ष 2031 तक 39.55 लाख से अधिक की अनुमानित आबादी के लिए फरीदाबाद की विकास योजना को अधिसूचित किया है।

Posted by: | Posted on: March 18, 2018
चंडीगढ( विनोद वैष्णव )- हरियाणा सरकार ने वर्ष 2031 तक 39.55 लाख से अधिक की अनुमानित आबादी के लिए फरीदाबाद की विकास योजना को अधिसूचित किया है। सरकारी प्रवक्ता ने शहरीकरण विस्तार प्रस्तावों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि 115 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर के कुल शहरी घनत्व को ध्यान में रखते हुए 2031 ए.डी. तक 39.55 लाख व्यक्तियों की सुविधा के लिए 34368 हेक्टेयर  क्षेत्र के भीतर शहरीकरण हेतु 2031 की फाइनल विकास योजना प्रस्तावित की गई है। उन्होंने बताया कि इस योजना में उत्तर में दिल्ली की सीमा से पश्चिम में अरावली पर्वत के तलहटियों तक, पूर्व में गुरुग्राम-आगरा कैनाल से परे और दक्षिण में झारसैंतली गांव की राजस्व संपदा तक का शहरीकरण प्रस्तावित है। इसलिए शहर के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र तथा आगरा नहर के पूर्व के अतिरिक्त क्षेत्र को अतिरिक्त आबादी हेतु अतिरिक्त नगरीय क्षेत्र के विकास के लिए प्रस्ताव किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि 271 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर (पीपीएच) के औसत आवासीय घनत्व के आधार पर आवासीय उद्देश्य के लिए 14,558 हेक्टेयर क्षेत्र प्रस्तावित किया गया है। प्रत्येक आवासीय क्षेत्र को दोनों साइड में 20 प्रतिशत भिन्नता के साथ और इसके अतिरिक्त ड्राइंग में इंगित सैक्टर घनत्व के लिए प्रत्येक आवासीय क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। जैसा कि नई एकीकृत लाइसेंसिंग नीति, वहनीय समूह आवास नीति, , पारगमन उन्मुखी विकास नीति में निर्धारित किया गया है।         
  उन्होंने बताया कि एक आवासीय क्षेत्र में बीस प्रतिशत समूह आवास घटक नीति भी लागू होगी। प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्रों के साथ लगते तीन सैक्टर संख्या 119, 143 और 146 को 600 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर (पीएचएच) घनत्व के साथ प्रस्तावित किया गया है, जिसमें केवल समूह आवास परियोजनाओं की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि 25 हैक्टेयर के आठ पॉकटे में निम्न तथा मध्यम आय वर्ग को आवास उपलब्ध करवाए जाएंगे इसके लिए छोटे-छोटे फ्लैटों का निर्माण करने के लिए 1125 व्यक्ति प्रति हैक्टेयर के अधि-घनत्व से विकसित करने हेतु सैक्टर संख्या 99, 112, 119, 122, 139, 143, 146 तथा 156 में आरक्षित की गई हैं।    
      सैक्टर घनत्व में बढोतरी के सरकार के निर्णय को तीन प्रावधानों के साथ योजना में शामिल किया गया है। इन प्रावधानों में अतिरिक्त आबादी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पहले से नियोजित या विकसित आवासीय क्षेत्रों में अवसंरचना के लिए अतिरिक्त क्षेत्र उपलब्ध कराया जाना चाहिए, एक आवासीय कॉलोनी या सेक्टर में सडक़ों की न्यूनतम चौड़ाई 12 मीटर से कम और एक आवासीय कॉलोनी या क्षेत्र को इस ढंग से नियोजित किया जाए, जिसमें पार्कों और खुले स्थलो के लिए न्यूनतम क्षेत्र और एक आवासीय कॉलोनी या सेक्टर में सडक़ों की न्यूनतम चौड़ाई 12 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए और प्रति व्यक्ति 2.5 वर्ग मीटर के  न्यूनतम मान दंड पुरे हो ।
उन्होंने कहा कि  विकास योजना में 2078 हैक्टेयर का क्षेत्र वाणिज्यिक प्रयोजन हेतु प्रस्तावित किया गया है। यहां मुख्य सडक़ों के साथ-साथ स्थित रिहायशी क्षेत्रों को वाणिज्यिक क्षेत्रों में तबदील करने की प्रवृति है। इसलिये इस प्रस्तावित प्रारूप विकास योजना 2031 ई.डी. में वाणिज्यिक भूमि उपयोगों को मुख्य सडक़ों तथा विभिन्न सैक्टरों के बीच सैक्टर सडक़ों के साथ-साथ पंक्तिबद्ध रूप में प्रस्तावित किया गया है ताकि रिहायशी क्षेत्र को वाणिज्यिक प्रयोग में तबदील करने की प्रवृति को रोका जा सके। इसके अतिरिक्त सैक्टर 100, 120 तथा 154 को शहरी केन्द्र के रुप में प्रस्तावित किया गया है। दिल्ली-मथुरा सडक़ के सामने सैक्टर 20-ए एवं सैक्टर 20-बी में भूमि की 70 मीटर चौड़ी पट्टी को सार्वजनिक एवं अद्र्ध सार्वजनिक उपयोगों से वाणिज्यिक उपयोगों में तबदील किया गया हैं। सैक्टर 27ए, 27बी, 27सी तथा 27डी तथा दिल्ली मथुरा सडक़ (एन0 एच0-44) के साथ-साथ 50 मीटर हरित पट्टी के अतिरिक्त 200 मीटर गहराई तक विद्यमान औद्योगिक पट्टी जो सैक्टर 32, 35 व 36 में पड़ती है, का भूमि उपयोग वाणिज्यिक में परिवर्तन किया गया है। उन्होनें कहा कि ग्रुप हाऊसिंग, मिश्रित भूमि उपयोग तथा आई. टी./आई. टी. ई. एस. परियोजनाओं को ट्रांजिट ओरियंटिड विकास जोन के विकास को शासित करने वाली विनिर्दिष्ट पॉलिसयों के अधीन अनुमत किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बहरहाल सरकारी एजेंसी द्वारा आबंटित औद्योगिक भूखंडों का उपयोग वही रखा जाएगा तथा केवल आबंटन करने वाली एजेंसी की पूर्व अनुमति से ही बदला जाएगा। विकास योजना में 6179 हैक्टेयर क्षेत्र औद्योगिक कार्यों हेतु प्रस्तावित किया गया है। विकास योजना में विद्यमान गैस आधारित थर्मल प्लांट को विशेष अंचल के रूप में समायोजित किया गया है। हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचनात्मक विकास निगम पहले ही आगरा नहर के पूर्व में स्थित सैक्टर 66, 67, 68 तथा 69 में औद्योगिक माडल टाउनशीप को विकसित कर दिया है। सैक्टर 13 में विद्यमान औद्योगिक इकाईयों के कारण, सैक्टर 13 का भूमि उपयोग संस्थागत से परिवर्तित कर औद्योगिक-सह-संस्थागत कर दिया गया है। प्रत्येक 100 एकड़ शहरीकरण याग्ेय क्षेत्र के लिए बहुमंजिली पाकिंर्ग का प्रावधान तथा शहरी स्तर की अन्य छोटी-छोटी मूलभूत सुविधाएं जैसे कि टेलीफोन एक्सचैन्ज, ठोस कचरे के स्थानान्तरण के स्थान, रेन बसेरा इत्यादि का प्रावधान सम्बंधित सैक्टर की परिसंचरण योजनाएं बनाते समय किया जायेगा। उन्होंने बताया कि ग्रुप हाऊसिंग, वाणिजियक मिश्रित भूमि परियोजनाओं को ट्रांजिट ओरियंटिड विकास जोन के विकास को शासित करने वाली विनिर्दिष्ट पॉलिसयों के अधीन अनुमत किया जाएगा ।
उन्होंने बताया कि आन्तरिक शहर के यातायात के सुचारु संचालन के लिये विकास योजना में परिचालन प्रणाली को प्रस्तावित किया गया है। दिल्ली-मथुरा सडक़ (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44): – यह सडक़ दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश से अन्तर्राजीय यातायात का केन्द्रीय अक्ष रही है। इस सडक़ को बाहरी यातायात से छुटकारा दिलाने हेतू, हुडा द्वारा 60 मीटर चौड़ी बाई-पास सडक़ का निर्माण किया जा चुका है। पश्चिम की तरफ दक्षिणी दिल्ली वाया महरोली तथा गुडग़ांव से आने वाले यातायात  को राष्ट्रीय राजमार्ग के समानांतर 75 मीटर तथा 90 मीटर चौड़ी प्रस्तावित सडक़ों के माध्यम से शहर को बाई पास करेगा, जोकि विद्यमान सूरजकुंड/सोहना सडक़ को राष्ट्रीय राजमार्ग से गांव सिकरी के निकट मिलाता है। 75 मीटर चौडी सडक़ एवं एक 90 मीटर चौड़ी सडक़ प्रस्तावित की गई है, जोकि आगरा नहर के पूर्व में प्रस्तावित अतिरिक्त शहरीकरण योग्य क्षेत्र के लिए होंगी तथा विद्यमान सडक़ों तथा पृथला, नोएडा तथा गट्रेर नोएडा के प्रस्तावित शहरीकरण योग्य क्षेत्र से मिलाएगी।
  उन्होंने बताया कि पूर्वी परिधीय दु्रत मार्ग एक 100 मीटर चौड़ी सडक़ जिसे पूर्वी परिधीय सडक़ के रूप में जाना जाता है, को दोनों तरफ 100 मीटर चैड़ी हरित पट्टी के साथ विकास योजना में प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने कहा कि सैक्टर 121 तथा सैक्टर 132 के नजदीक इस दु्रतमार्ग को जोडऩे हेतू 75 मीटर के दो संपर्क प्रस्तावित किये गये हैं। सैक्टर 131 तथा 132 के निकट प्रस्तावित कैन्नकटिविटि , औद्योगिक सैक्टरों की सुविधा हेतू प्रस्तावित किया गया है, जिसे हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम द्वारा विकसित किया जाएगा तथा इसे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा नियत किये जाने वाले बाह्य विकास शुल्क में शमिल नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अन्त: शहरी सडक़ तंत्र: शहर के आन्तरिक यातायात के लिये 1 किलोमीटर से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर ग्रीड आयरन पद्धति पर 12 मीटर चौड़ी सर्विस सडक़ के साथ 60 मीटर चौड़ी सडक़ों का जाल प्रस्तावित किया गया है। ये सडक़ें सैक्टर विभाजक सडक़े हैं जिन्हें वर्तमान योजना पर वी-2 के रूप में दिखाया गया है। हर सैक्टर में, प्रत्येक सैक्टर का कटिबन्ध प्लान बनाते समय, 24 मीटर तथा 12 मीटर चौड़ी सडकों को प्रस्तावित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि रेलवे लाईन के पूर्वोतर तथा पष्चिमोतर में शहरीकरण की प्रस्तावनाओं को ठीक तरीके से जोडने के लिये रेलवे ब्रिज होना जरुरी है। मेवला महाराजपुर एवं सराय ख्वाजा-सूरजकुण्ड सडक़ पर पहले से प्रस्तावित रेलवे उपरगामी पुल के अतिरिक्त एक रेलवे उपरगामी पुल 75 मीटर चौड़ी पूर्वी परिधीय सडक़ दिल्ली-मथुरा रेलवे लाईन की क्रोसिंग पर गांव मालेरना के निकट प्रस्तावित किया गया है।
गुडगांव तथा आगरा कनाल के उपर पुल के बारे में उन्होंने कहा कि आगरा नहर पर मौजूदा पुल काफी पुराने व कमजोर है, जो कि ग्रामीण यातायात के लिये बनाये गये थे। आगरा एवं गुडगांव नहर के दोनों तरफ के शहरीकृत प्रस्तावनाओं को जोडने हेतु उपरोक्त नहरों के ऊपर प्रस्तावित सैक्टरों की सेक्टर विभाजन सडक़ों पर पुल प्रस्तावित किए गए है। पुराना फरीदाबाद, तिगांव सडक़, पल्ला सडक़ तथा बल्लबगढ़-मोहना सडक़ पर पहले से ही विद्यमान पुलों को चौड़ा तथा मजबूत करना अपेक्षित है।
उन्होंने बताया कि मुम्बई से दादरी जाने वाला समर्पित मालभाड़ा गलियारा प्रस्तावित शहरीकरण सीमा के बीच से गुजरेगा। समर्पित मालभाड़ा गलियारा के दोनों ओर 30 मीटर चौड़ी हरित पट्टी प्रस्तावित है तथा इस 30 मीटर चौड़ी हरित पट्टी में समर्पित मालभाड़ा गलियारा के साथ-साथ दोनों ओर 12 मीटर चौड़ी सर्विस सडक़ प्रस्तावित की गई है।
उन्होंने कहा कि नोएडा और ग्रेटर वहृत नोएडा को संयोजकता प्रदान करने के लिए सैक्टर 92 तथा सैक्टर 95 के निकट दो संपर्क बाहरी परिधीय सडक़ से प्रस्तावित किये गये है।
उन्होंने कहा कि मैट्रों रेल संपर्क दिल्ली मथुरा सडक़ के साथ-साथ बल्लभगढ़ तक मैट्रों रेल प्रस्तावित है जोकि वर्तमान में दिल्ली मैट्रों रेल निगम द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। इसके अतिरिक्त, इस संपर्क का विस्तार गांव सिकरी तक तथा बाई पास सडक़ के साथ-साथ फिर गांव गुडग़ांव आगरा के साथ-साथ तथा 75 मीटर चौड़ी सडक़ के साथ-साथ सैक्टर 87, 88, 89, 84, 83, 78, 77, 72, 71, 68, 67 तथा 66 से होते हुए प्रस्तावित किया गया है, जिसमें बाद में की जाने वाली फिजीबिलिटी अध्ययन तथा अन्य स्टडीज के आधार पर परिर्वतन किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय रेल तंत्र: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड की तैयार की गई क्षेत्रीय योजना 2021 ईडी की प्रस्तावनाओं को ध्यान में रखते हुए विद्यमान दिल्ली मथुरा रेलवे लाईन के साथ-साथ क्षेत्रीय द्रुत पारगमन प्रणाली प्रस्तावित की गई है। क्षेत्रीय योजना में सोनीपत-झज्जर-गुडग़ांव-फरीदाबाद-दादरी-मेरठ-बागपत-सोनीपत को जोडऩे हेतू अन्त:क्षेत्रीय त्रिज्यात्मक रेल गलियारे (आई.आर.ओ.आर.सी.) का प्रस्तावन है। लेकिन, जबकि इस गलियारे के संरेखण को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, अत: उसे वर्तमान विकास योजना में फिजीबिलिटी अध्ययन/विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के आधार पर सुनिश्चित किये गये संरेखण के आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, पूर्वी परिधीय दु्रतमार्ग के साथ-साथ 50 मीटर चौड़े त्रिज्यात्मक रेल गलियारे का भी प्रस्ताव किया गया है।
सार्वजनिक उपयोगिता के बारे में उन्होंने कहा कि विकास योजना में सभी सार्वजनिक उपयोग स्थल, जो पहले ही विकसित है, को समायोजित किया गया है। इसी प्रकार, मल निष्कासन कार्य के स्थल को आगरा नहर के पूर्व के क्षेत्र में प्रस्तावित किया गया है। सार्वजनिक उपयोगों के लिये कुल 638 हैक्टेयर भूमि को प्रस्तावित किया गया है।
उन्होंने कहा कि अपशिष्ट जल के पुन:चक्रण/पुन: उपयोग हेतू प्रयास किये जाएंगे तथा उपचारित जल का उपयोग बढख़ल झील को पुनर्जिवित करने के लिए किया जाएगा। जन स्वास्थ्य विभाग एवं हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण विभाग की जरुरतों अनुसार विकास प्लान में नहर पर आधारित जल-घर का प्रावधान किया गया है। फरीदाबाद का जल वितरण तन्त्र काफी हद तक भूजल तथा यमुना के साथ स्थित रेनी वेल्स पर निर्भर है। 
  उन्होंने कहा कि नगर निगम, फरीदाबाद के अनुसार सरकार की विभिन्न परियोजनाओं जैसे की जे0एन0एन0यू0आर0एम0 के अन्तर्गत इस बढती हुई मांग को पूरा करने के लिए विभिन्न परियोजनाएं जैसे की टयूबैल्स ओर रेनीवैल्स के निर्माण, यू0जी0एस0आर0एस0, ओ0एच0एस0आरस0 और पानी वितरण की विभिन्न व्यास की लाईनों को बिछाने हेंतु बनाई जा रही हैं ।
  नये शहरीकृत क्षेत्र में एच0वी0पी0एन0एल0 की जरुरत के अनुसार बिजली के वितरण एवं ट्रांसमिषन हेतु जरुरी अवसरंचना के विकास हेतु 400 के0 वी0 तथा 220 के0 वी0 उपकेन्द्रों की स्थापना हेतू अनूकुल क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं। 440 के0 वी0 और 220 के0 वी0 की ऊपरी समप्रेष्ण लाईनों का अधिकृत रास्ते को और उनके साथ लगती हुई हरित पटटी/खुले स्थान को विस्तृत योजना में सम्मलित किया जायेगा।
  गुरूग्राम तथा फरीदाबाद के ठोस कचरा विर्सजन का स्थल गुडगांव जिले के गांव बंधवाडी की राजस्व सम्पदा में किया गया है। ठोस कचरा/कुड़ा मलवा/कंकाल एवं चिकित्सीय कचरे के लिए चार स्थलों को प्रारुप विकास प्लान में प्रस्तावित किया गया है जिनमें तीन स्थल शहर के शहरी क्षेत्र के पूर्वी तरफ एवं एक स्थल शहरी क्षेत्र के पश्चिम की तरफ है। इन स्थलों के अतिरिक्त, केवल कांजी हाउस, बूचड़ खाना, मीट मार्किट सहित डेरी, सूअर जोन तथा कुता घर के प्रयोजन के लिए भी क्षेत्र निर्धारित किया गया है।




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