“ममता की छाँव में ” थीम पर सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल में मनाया गया ” मातृ दिवस “

Posted by: | Posted on: May 14, 2019

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल में मातृ दिवस का आयोजन बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ किया गया ।कार्यक्रम का शुभारम्भ सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल के मुख्य निदेशक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सत्येंद्र भड़ाना व स्कूल की प्रधानाचार्या मधु पाण्डेय , सीनियर कोऑर्डिनेटर नंदा शर्मा व उपस्थित सभी माताओं ने दीप प्रज्जवलित कर किया । बच्चों ने गणेश वंदना के द्वारा ईश्वर व ईश्वर रूपी माँ का आभार प्रकट करते हुए उनकी वंदना की । इस कार्यक्रम में बच्चों के द्वारा विविध कार्यक्रम माताओं के लिए प्रस्तुत किये गएए जिसमें विशेष थे | तेरे जैसा कोई नहीं माँए माँ को समर्पित नृत्य, सबसे सुन्दर मेरी माँ तथा रेट्रो डांस । जिसे देखकर सभी हर्षित हुए । इस कार्यक्रम में बच्चों की प्रेरणा स्रोत माताओ के लिए भी विविध गतिविधियों का आयोजन किया गया . जिसमें थाली मेकिंग, नृत्य व गीत आदि प्रतियोगिता थी । यह कार्यक्रम देख माताओं के मुख पर प्रसन्नता के भाव थे । प्रतियोगिता के आयोजन के दौरान रैंप, वॉक,वेल ड्रेसअप , बेस्ट स्माइल आदि को उपहार देकर सम्मानित किया गया और इस कार्यक्रम को देखकर सभी माताएं प्रसन्नचित व रोमांचित थी । कार्यक्रम के मध्य में सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल के मुख्य निदेशक व वरिष्ठ अधिवक्ता सत्येंद्र भड़ाना ने सबसे पहले वंदनीय भारत माता व अपनी माता को प्रणाम करते हुए आभार व्यक्त किया और सभी को मातृ दिवस की शुभकामनायें देते हुए कहा कि माँ और बच्चे के बीच मे प्रेम और विश्वास का अटूट रिश्ता होता है माँ का दर्ज़ा भगवान के सामान होता है । माँ के आशीर्वाद में बेहतर भविष्य और खुश रहने की कामनाएं छुपी होती है । माँ वह शब्द है जो सभी परेशानियों को पार कर अपने बच्चे की परवरिश करती है और शिक्षा के साथ. साथ संस्कार भी देती हैं। माँ अपनी परवाह न करते हुए अपने बच्चों की ख़ुशी के लिए पूरा जीवन समर्पित कर देती है । इसके पश्चात् स्कूल की प्रधानाचार्या ने सभी उपस्थित अभिभावकों को धन्यवाद करते हुए मातृ दिवस की शुभकामनायें सभी माताओं को दी और माँ का महत्त्व बताया कि माँ जीवन में सभी भूमिकाओं का निर्वाह पूरी ईमानदारी से बिना थके सदैव पूर्ण करती रहती है । माँ दुःख में आपकी दोस्त व गलत होने पर आपकी मार्गदर्शक होती है । इस दुनिया में माँ ही जीवन का आधार है ।यह कार्यकर्म सभी माताओं को समर्पित था ।





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